भारत कुमार -A positive web story: छत्तीसगढ़ में चरौदा नाम का एक छोटा सा कस्बा है,जिससे हममें से ज्यादातर लोग अपरिचित हैं, वहां भारत Bharat Kumar नाम का एक लड़का रहता था। वह एक कमजोर आर्थिक परिवार से हैं। उनके पिता एक बैंक में सुरक्षा गार्ड के रूप में काम करते थे और उनकी माँ चाय की दुकान चलाती थीं
विपरीत आर्थिक परिस्थितियों को झेलने के बाद माँ बाप के आशीर्वाद से वे स्कूल के लिए केन्द्रीय विद्यालय चरौदा चले गये। 9वीं कक्षा में, महँगी फीस देने में असमर्थ थे, लेकिन स्कूल ने भी उन्हें फीस माफ करके मदद की, उन्होंने 12वीं कक्षा में अच्छा प्रदर्शन किया और आईआईटी धनबाद में प्रवेश लिया।
जब पैसा फिर से एक मुद्दा बन गया, तो रायपुर के व्यवसायी अरुण बाघ और जिंदल ग्रुप ने उनकी मदद की। उन्होंने कॉलेज में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और आईआईटी धनबाद में 98% के साथ स्वर्ण पदक प्राप्त किया।
इंजीनियरिंग में अपने 7वें सेमेस्टर के दौरान उन्हें इसरो में नौकरी मिल गई। और महज 23 साल की उम्र में चंद्रयान 3 पर काम करने का मौका मिला।
वह उनमें से हैं जो फीनिक्स की तरह राख से उठने’वाली कहावत का प्रमाण है। वह ‘विपरीत परिस्थितियों मैं कमल की तरह खिलने’ वाली कहावत का प्रमाण है।
हमारे आसपास उनके जैसे कई भारत हैं, जो छोटे शहरों की साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं, और जो हर दिन एक नए भारत के सपने को आगे बढ़ा रहे हैं।
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